''विद्रोही सीता की जय'' लिख परतें इतिहास की खोलूँगी !

त्रेता में राम दरबार सजा ; थी आज परीक्षा सीता की ,
तुम करो प्रमाणित निज शुचिता थी राजाज्ञा रघुवर की ,
वाल्मीकि संग खड़ी सिया के मुख पर क्षोभ के भाव दिखे ,
सभा उपस्थित जन जन संग श्री राम लखें ज्यों चित्रलिखे .
बोली सीता -श्री राम सुनो अब और परीक्षा ना दूँगी
नारी जाति सम्मान हित अपवाद सभी मैं सह लूंगी !
प्रभु आप निभाएं राजधर्म मैं नारी धर्म निभाऊंगी ;
आज आपकी आज्ञा का पालन न मैं कर पाऊँगी ,
स्वाभिमानी नारी बन सब राजदंड मैं भोगूंगी
नारी जाति सम्मान हित ....
जो अग्नि परीक्षा पहले दी उसका भी मुझको खेद है ,
ये कुटिल आयोजन बढ़वाते नर-नारी में भेद हैं ,
नारी विरूद्ध अन्याय पर विद्रोह की भाषा बोलूंगी
नारी जाति सम्मान हित .......
था नीच अधम पापी रावण जिसने था मेरा हरण किया ,
पर अग्नि परीक्षा ली राजन क्यों आपने ये अपराध किया ?
हर नारी मुख से हर युग में ये प्रश्न आपसे पूछूंगी ,
नारी जाति सम्मान हित .....
नारी का यूं अपमान न हो इसलिए त्यागा रानीपद ;
मैने छोड़ा साकेत यूं ही ना घटे कभी नारी का कद ,
नारी का मान बढ़ाने को सब मौन मैं अपने तोडूंगी ,
नारी जाति सम्मान हित ....
अग्नि परीक्षा शस्त्र लगा पुरुषों के हाथ मेरे कारण ;
भावुकता में ये भूल हुई पाप हुआ मुझसे दारुण ,
मत झुकना तुम अन्याय समक्ष सन्देश सभी को ये दूँगी .
नारी जाति सम्मान हित ....
इस महाभयंकर भूल की मैं दूँगी खुद को अब यही सज़ा ;
ये भूतल फटे अभी इस क्षण जाऊं इसमें अविलम्ब समा ,
अपराध किया जो मैंने ही दंड मैं उसका झेलूंगी ,
नारी जाति सम्मान हित .....
पुत्री सीता की व्यथा देख फट गयी धरा माँ की छाती ;
बोली ये जग है पुरुषों का नारी उनको कब है भाती ?
आ पुत्री मेरी गोद में तू तेरे सब कष्ट मिटा दूँगी .
नारी जाति सम्मान हित .....
सीता के नयनों में उस क्षण अश्रु नहीं अंगारे थे ;
विद्रोही सीता रूप देख उर काँप रहे वहाँ सारे थे ,
फिर समा गयी सीता कहकर ये अत्याचार न भूलूंगी .
नारी जाति सम्मान हित ....
नारी धीरज को मत परखो सीता ने ये सन्देश दिया ;
सन्देश यही एक देने को निज प्राणों का उत्सर्ग किया ,
'विद्रोही सीता की जय ''लिख परतें इतिहास की खोलूँगी
जय सीता माँ की बोलूंगी ..जय सीता माँ की बोलूंगी !
2 टिप्पणियां:
shikha ji ,vastav me aapki har post nari jeevan ko lekar nai jagriti paida kar deti hai.bahut shandar prastuti.badhaiतुम मुझको क्या दे पाओगे?
इस नूतन रामायण में सिताजि ने तो अवाक कर दिया बहुआयामी अर्थों में प्रासंगिक
शिखाजी आपने तो अवाक कर दिया शब्द नहीं मिल रहे -बस इतना कहूँगी लिखती रहिए
राचन
aavइस नूतन रामायण में सिताजि ने तो अवाक कर दिया बहुआयामी अर्थों में प्रासंगिक
शिखाजी आपने तो अवाक कर दिया शब्द नहीं मिल रहे -बस इतना कहूँगी लिखती रहिए
राचन
aaइस नूतन रामायण में सिताजि ने तो अवाक कर दिया बहुआयामी अर्थों में प्रासंगिक
शिखाजी आपने तो अवाक कर दिया शब्द नहीं मिल रहे -बस इतना कहूँगी लिखती रहिए
राचन
aaइस नूतन रामायण में सिताजि ने तो अवाक कर दिया बहुआयामी अर्थों में प्रासंगिक
शिखाजी आपने तो अवाक कर दिया शब्द नहीं मिल रहे -बस इतना कहूँगी लिखती रहिए
राचन
इस नूतन रामायण में सिताजि ने तो अवाक कर दिया बहुआयामी अर्थों में प्रासंगिक
शिखाजी आपने तो अवाक कर दिया शब्द नहीं मिल रहे -बस इतना कहूँगी लिखती रहिए
राचन
आपने तो अवाक करदिया शब्द ही नहीं मिल रहे कुछ कहने को
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