भक्त मंडली

गुरुवार, 10 अक्तूबर 2013

नूतन रामायण [भाग एक ]


नूतन रामायण सुनो ,
भक्ति-भाव के साथ ,
नयन बसा लो युगल छवि
और जोड़ लो हाथ !
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श्री गणेश को नमन है ,
दें महादेव आशीष ,
सिया राम के चरणों में
झुक रहे निज शीश !

                                                                  नूतन रामायण
१-
पावन धाम
राजा दशरथ
अयोध्या नाम !
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२-
रानी तीन
एक ही चिंता
राजा पुत्रविहीन !
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३-
ऋषि पधारे
ऋषयश्रंग
हर्षित भये सारे
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४-
पुत्रोत्पत्ति यज्ञ करवाया ,
अग्निकुंड से प्रकट पुरुष
खीर था लाया !
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५-
खाकर खीर दिव्य
गर्भवती भाई रानियाँ ,
राजा दशरथ धन्य !
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६-
जन्मे पुत्र चार ,
ज्येष्ठ राम
श्री हरि अवतार !
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७-
राजा दशरथ मग्न
पाकर राम -भरत
लखन व् शत्रुघ्न !
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८-
विद्या पाई
अल्प काल में
चारो भाई !
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९-
विश्वामित्र अयोध्या आये ,
विवश भए दशरथ
राम-लखन ऋषि संग पठाए !
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१०-
ताटका मारी
श्री राम
अद्भुत धनुर्धारी !
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११-
सिद्धाश्रम में यज्ञ रक्षा
सौ योजन मारीच को फेंका
मार सुबाहु मुनि सुरक्षा !
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१२-
किया अहिल्या का उद्धार
श्री राम की महिमा
है अपरम्पार !
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१३-
मिथिला गए गुरु के संग
वारा सिया को
किया शिव-धनु भंग !
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१४-
भारत-मांडवी ,लखन-उर्मिला,
श्रुतिकीर्ति -रिपुदमन
का हुआ मिलन !
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१५-
राजा दशरथ हर्षित मन
पुत्र-पुत्रवधुओं संग
अयोध्या आगमन !
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१६-
देख राम के गुण अनेक
करेंगें दशरथ
उनका राज्यभिषेक !
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१७
अयोध्यावासी हुए प्रसन्न
पर कैकेयी दासी
मंथरा खिन्न !
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१८-
मंथरा ने कुचक्र चलाया
उकसाकर कैकेयी को
कोपभवन भिजवाया !
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१९-
दशरथ पहुंचें कोपभवन
कुपित रानी ने मांग लिए
विस्मृत दोउ वचन !
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२०-
मिले भारत को अयोध्या राज
और राम को
चौदह बरस वनवास !
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२१-
रघुकुल रीत निभाई
सिया लखन संग
गए वन रघुराई !
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२२-
श्रृंगवेरपुर पहुंचें रघुराई
मित्र गुह से भेंटें
नौका मंगवाई !
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२३-
तात सुमंत्र को था समझाया
श्रीराम ने दे संदेसा
वापस उन्हें लौटाया !
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२४-
नौका पर होकर सवार
सिया ने पूजी गंगा-मत
फिर की गंगा पार !
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[जारी है ]
जय सियाराम जी की !

शिखा कौशिक 'नूतन'

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