भक्त मंडली

शनिवार, 15 जून 2013

सीता अपमान का प्रतिउत्तर !



सीता अपमान का प्रतिउत्तर !
Sita Mata
आज जनकपुर स्तब्ध  भया ;  डोल गया विश्वास है  ,
जब से जन जन को ज्ञात हुआ मिला सीता को वनवास है .

मिथिला के जन जन के मन में ये प्रश्न उठे बारी बारी ,
ये घटित हुई कैसे घटना सिया राम को प्राणों से प्यारी ,
ये कुटिल चाल सब दैव की ऐसा होता आभास है .

हैं आज जनक कितने व्याकुल  पुत्री पर संकट भारी है ?
ये होनी है बलवान बड़ी अन्यायी अत्याचारी है ,
जीवन में शेष कुछ न रहा टूटी मन की सब आस है .

माँ सुनयना भई मूक बधिर अब कहे सुने किससे और क्या ?
क्या इसीलिए ब्याही थी सिया क्यों कन्यादान था हमने किया ?
घुटती   भीतर भीतर माता आती न सुख की श्वास है !

सीता की सखियाँ  रो रोकर हो जाती आज अचेत हैं ,
प्रस्तर से ज्यादा हुआ कठोर श्रीराम का ये साकेत है ,

सीता हित चिंतन करती वे हो जाती सभी उदास हैं !

मिथिलावासी करते हैं प्रण  युग युग तक सभी निभावेंगे ,
पुत्री रह जाये अनब्याही अवध में नहीं ब्याहवेंगें ,
सीता अपमान का प्रतिउत्तर मिथिला के ये ही पास है  !


शिखा कौशिक 'नूतन'

  

2 टिप्‍पणियां:

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

मिथिलावासी का एक प्राण यह भी है
कि वे अपनी बेटियों का ब्याह अगहन में नहीं करते
क्यूँ कि सीता जी का ब्याह अगहन में ही हुआ था
आप की रचना बे-मिसाल होती है
हार्दिक शुभकामनायें

kunwarji's ने कहा…

रोष की सुन्दर अभिवयक्ति करती रचना...

कुँवर जी,