हम लव कुश अपनी जननी पर अभिमान करते हैं ,
इन पतिव्रता नारी का सम्मान करते हैं !
अपवाद उठा जब मिथ्या तब वन को गमन किया ,
भीषण कष्टों को सहकर हमको जन्म दिया ,
धर्मचारिणी माता को प्रणाम करते हैं !
प्रथम गुरु माता ने हमको सदाचार सिखलाया ,
दया क्षमा और सेवा  का हमको पाठ  पढाया ,
उपकारी माँ चरणों में निज शीश धरते हैं ! 
अन्याय-पाप से लड़ना माँ हमको सिखलाती ,
कैसे मारा रावण को श्रीराम का यश हैं  गाती ,
संग मात का पाकर हम संस्कारित होते हैं !
शिखा कौशिक 'नूतन'
1 टिप्पणी:
very nice .
एक टिप्पणी भेजें