भक्त मंडली

बुधवार, 19 सितंबर 2012

पितृ सत्ता के समक्ष लो राम गया हार !


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भूतल  में  समाई  सिया  उर कर रहा धिक्कार 
पितृ सत्ता के समक्ष लो  राम गया  हार   !

देवी अहिल्या को लौटाया नारी  का सम्मान  
अपनी  सिया का साथ न दे  पाया किन्तु  राम
है वज्र सम ह्रदय मेरा करता हूँ मैं स्वीकार !
पितृ सत्ता के समक्ष  ........

वध किया  अनाचारी का बालि हो या  रावण 
नारी को मिले मान बस था यही कारण 
पर दिला पाया कहाँ सीता को ये अधिकार !
पितृ सत्ता के समक्ष .......
नारी नर समान है ;  वस्तु नहीं नारी 
एक पत्नी व्रत लिया इसीलिए  भारी 
पर तोड़ नहीं पाया पितृ सत्ता की दीवार !
पितृ सत्ता के समक्ष .....

अग्नि-परीक्षा सीता की अपराध था घनघोर 
अपवाद न उठे कोई इस बात पर था जोर 
फिर  भी  लगे सिया पर आरोप निराधार !
पितृ सत्ता के समक्ष लो राम गया हार !!

                           शिखा कौशिक 

3 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सोचने को मजबूर करती रचना ...

Aditi Poonam ने कहा…

सीता तो हर युग में अग्नि-परीक्षा देती आई है राम साथ देना भी चाहे तो समाज साथ नहीं देता

Dayanand Arya ने कहा…

कौन कहे, किससे कहे,
हर ओर वही लाचारी है,
रावन हर मन में बैठा है,
लंका ये दुनिया सारी है ।
राम एक-दो नहीं हजारों
लाओ जग में माताओं,
सीताओं को भी रावन से
अब टक्कर लेना सिखलाओ...